श्री तेजराम शर्मा जी ने अपने व्यक्तत्व में राष्ट्रीय ग्रंथ भगवद्गीता की महत्ता बाताते हुएे कहा की यह श्री कृष्ण-अर्जुन के बीच का संवाद है, जो उपनिषदो की कक्षा का होने के कारण, श्री अादि शंकराचार्य ने इसे उपनिषद के साथ रखा है। पूरे श्रीमद्भगवत् गीता का सार कर्म है और पूरे महाभारत का सार धर्म है। श्री शार्मा ने विषेशरुप से बाताया कि श्रीमद्भगवत् गीता का अध्ययन छोटी अायु से ही शरु कारना चाहिये। कार्यक्रम के अंत में श्री हार्दिकजी ने विवेकानन्द केन्द्र कि गतिविधियों, जैसे कि योगवर्ग, संस्कारवर्ग एवं स्वाध्याय वर्ग के बारे में जानकारी दी और मुख्य अतिथि तथा उपस्थित समुदाय का धन्यवाद किया। शांति मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापान किया गया। कार्यक्रम के सुचारु संचालन में श्री गोपाल, प्रविण, कुलदिप, शिवम्, धरमेन्द्र एवं हीरासिंग विषेश सहयोग रहा।
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शनिवार, 10 दिसंबर 2016
गीता जयंती
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