माननीय रेखादीदी ने बताया जैसे स्वामी विवेकानन्दनें पुस्तकीय ज्ञानके साथ साथ प्रत्यक्ष भारत का अनुभव परिभ्रमण द्वारा लिया और तत्कालीन देशकी परिस्थिती और उसका हल ढुंढा, और देशको आत्म-सन्मान वापस लाने के लिए कार्य किया ऎसे ही हमे आज पूरे आत्मविश्वास के साथ परिस्थिती का सामना करना है। विवेकानन्दने बताया था, हमे स्वयं पर ओर ईश्वर पर विश्वास होना है। जो लक्ष्य लेते है उसे पुरा करे बगर रुकना नहीं हैं। स्वामीजी कि तरह ही भारत प्रेम एवं संवेदनशील होकर इस विराट-जनता-जनार्दनके लिए कार्य करना है।
संस्कार मनुष्यको मनुष्य द्वारा ही प्राप्त होते है और मनुष्य का निर्माण चारित्रके निर्माण द्वारा ही संभव है। स्वामी विवेकानन्दकी वारणसी के बंदरो वाले वाक्या बताते हुए स्वामी विवेकानन्दका संदेश की समस्या से भागो नही, किन्तु समस्या का सामना करो, यही आजकी आवश्यक्ता हैं।
कार्यक्रम के अन्तमें श्रीमती कल्पनाजी, केन्द्र कार्यकर्ता द्वारा विवेकानन्द केन्द्र कन्याकुमारी का परिचय दिया गया। श्री नेगीजी, क्युरेटर, हिमाचल स्टेट संग्रहालय एवं श्री आशुतोषजी, सहसंयोजक, विवेकानन्द केन्द्र शिमला शाखा ने आभार प्रस्ताव दिया। कार्यक्रम का संचालन श्री हार्दिक ने कीया। कार्यक्रमके दौरान केन्द्र कार्यकर्ता द्वारा स्वामी विवेकानन्द एवं भारतीय संस्कृतिका बुक-स्टोलभी लगाया गया था।
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